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खास ए जन्मदिन खास ए आम का।

खास ए जन्मदिन खास ए आम का........   खास-ए-जन्मदिन खास-ए-आम का । न वो खास-ए-आम है और न आम-ए-खास । । न वो हमारा कुछ लगे न मै उनका ।  फिर भी हम जब भी हो पास तो वो है सुखद एहसास ।। 1 ।। हम दोनों न करीब है और दूर है ।  फिर भी रहती है एक दूसरे से मुलाकात की आस ।। हम वैसे तो कोई विशेष नहीं है ।  लेकिन दोनों ही एक दूसरे के लिए है खासमखास  ।। 2 ।। खास ए जन्मदिन खास ए आम का।  हम बच्चे हैं या बड़े ये तो हमे भी नहीं पता ।   फिर भी है हमारे बीच जवां से एहसास ।। न वो हमसे खता न हम कभी उनसे खता ।  क्योकि हमे है इस रिश्ते के होने का विश्वास  ।। 3 ।। वक्त कब गुजरा कब करीब आये, न जाने कब कहाँ से कहाँ आये ।  हम न एक दूर को पहले से जाने, फिर भी जाने क्यों आये इतने पास ।। सच में हमे भी नहीं पता की हम एक जैसे इतने सामान से कहाँ से आये ।  हम ही जाने बाकि कोई न जाने की हम है इक दूजे के इतने खास  ।। 4 ।। खास ए जन्मदिन खास ए आम का।  हम इतने रूढ़ि तो नहीं की छुपाये इस हसीन एहसास को ।  लेकिन असल में हम है ही कुछ अलग मिजाजी खास ।।  जो नहीं करना चाहते इस तरह सार्वजनिक इक दूजे को । .  शायद हम है इतने समझदार कि मायने न