एक साथी ऐसा जो अपना सा।
एक साथी ऐसा जो अपना सा। यूं तो सबकी पूरी जिंदगी में हर किस्सा ही, अपने आप में अजीब होता है।। लेकिन ये किस्सा तो पूरी जिंदगी में संभवतः, एक ही खुशनसीब प्रतीत होता है।। 1।। वैसे तो हमने भी सुना था की अनजानी राहों में, अपने से लोगों से मुलाकात होती है।। लेकिन ये न पता था कि एक अनजान से हुई, इतनी भी खास मुलाकात होती है।। 2।। अब थोड़ा किस्सा सिर्फ मेरे अकेले का ही सुन लो।। कहानी तो दोनों की है लेकिन फिर भी अकेले का सुन लो ।। 3।। एक चेहरा जो हर ढंग से अलग और अनजान था, इसलिए कोई जुड़ाव न था ।। था तो अनजान फिर भी रोज सामने से गुजरता तो, सच में ही कुछ तो लगाव था।। 4।। एक साथी ऐसा जो अपना सा हालाँकि मन ही मन रोज सोचता कितना स्वाभिमानी है।। हाँ स्वाभिमानी, उस लाचार राह में भी इतना स्वाभिमानी है।। 5।। खैर अभी भी सच में तो अनजान ही थे, अपनापन कहीं प्रमस्तिष्क में होगा।। सामने से तो हमारे लिए आज भी अनजान था, जैसे कोई राहगीर होगा।। 6।। लगता था कि ये सिर्फ किताबों में ही होता है, कि राहगीर भी कभी अपना होता है।। हालांकि फिर वो ही बात संयोगों से मेरा पुराना नाता जो है, तो सच भी होता है ।।