एक मुलाकात ऐसी भी

एक मुलाकात ऐसी भी।


ना मैं उसे जानू ना वो मुझे जाने ।।


फिर भी मिले ऐसे जैसे दोनों एक दूसरे को खूब जाने ।।1।।


और जाने भी क्यों न दोनों की सालों तक बातें ही ऐसे हुई थी ।।

जिसमें एक दूसरे की मन से सारी चाहते और आदतें साझा हुई थी ।।2।।


ऐसा नहीं है कि यह मुलाकात पहली थी ।।

लेकिन यह भी सच है कि मुलाकात बड़ी अलबेली थी ।।3।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


और जब मुलाकात सच में पहली थी। तब तो दोनों ही दिल के बच्चे थे ।।

लेकिन हां दोनों की शर्ते और चाहते अलग-अलग थी फिर भी दिल के सच्चे थे ।।4।।


ऐसा नहीं है कि उस मुलाकात को लेकर नाराजी हुई थी ।।

लेकिन यह भी सच है कि दोनों में उसके बाद थोड़ी सी दूरी हुई थी ।।5।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


फिर हिम्मत करके दोनों के बीच एक मुलाकात और हुई ।।

अब मुलाकातों में सिर्फ साथ बैठकर समय बिताने की शुरुआत हुई ।।6।।


इस मुलाकात में भी एकाएक ऐसा पल आया ।।

बीच में ही मुलाकात बिछड़ गई और दोनों का ही दिल दुख से भर आया ।।7।।


अब समय कुछ ऐसा आया कि दोनों के ही बीच दूरियां बढ़ने लगी थी ।।

दोनों अपने आप में खो गए और दोनों की तरफ से ही नई तलाश होने लगी थी ।।8।।


हालांकि अपने आप में दोनों अभी भी सही थे ।।

लेकिन एक दूसरे के लिए शायद गलत हो गए थे ।।9।।


मैं थोड़ा संयोगों में जरुरत से ज्यादा विश्वास करता था ।।

और क्यों न करता हमारी कुछ मुलाकातों का कारण भी संयोग ही हुआ करता था ।।10।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


फिर एक मुलाकात और ऐसी हुई ।।

जिसमें सारे गिले-शिकवे दूर करने की शुरुआत हुई ।।11।।


हालांकि दोनों को लग रहा था गलती किसी की नहीं थी ।।

लेकिन यह भी सच है कि गलती मेरी ही थी ।।12।।


यह मुलाकात जब खत्म हुई तो दोनों ही एक दूसरे से थोड़े नाराज थे ।।

लेकिन दोनों का अपनापन तो देखो एक दूसरे से दूर होने को भी तैयार न थे ।।13।।


फिर क्या था सारे गिले-शिकवे भूलाए गए ।।

और फिर एक दूसरे के पास आ ही गए ।।14।।



अब एक दूसरे की सारी शिकायतें भुला ही चुके थे ।।

और अब वापस एक दूसरे के अपने हो चुके थे ।।15।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


फिर मुलाकात का अवसर ही कुछ ऐसा हुआ ।।

दोनों ने अपनी परिस्थितियों को ताक पर रखा और अलग मिलन हुआ ।।16।।


यह मुलाकात भी सच में बड़ी खास थी ।।

अब दोनों की सांसें एक दूसरे के पास थी ।।17।।



शर्तें अभी दोनों की उतनी ही थी ।।

जितनी कभी पहली मुलाकात में थी ‌।।18।।


पहली मुलाकात जब हुई तब तो दोनों ही बच्चे थे । 

लेकिन अब बड़े हो चुके थे फिर भी दिल से बच्चे थे ।।19।।‌


हालांकि यह मुलाकात कोई पहली नहीं थी ।

लेकिन जैसी हुई वह तो पहली ही थी ।।20।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


इस बार दोनों ने ही अपनी शर्तों को ताक पर रखा ।

फिर भी एक दूसरे की सहजता का पूरा ख्याल रखा ।।21।।


कभी एक घंटे की मुलाकात से आज एक रात की मुलाकात तक पहुंचे थे ।।

लेकिन एक रात की मुलाकात में ऐसा लगा जैसे एक घंटे भी नहीं रुके थे ।‌।22।।


रात गुजर गई कब सुबह हुई दोनों पता भी नहीं चला था ।।

इस मुलाकात से इतने करीब आ जाएंगे सोचा भी ना था ।।23।।



फिर क्या था एक दूसरे से दूर होने का समय आ ही गया था ।।

अब थोड़े से परिपक्व होने लगे इसलिए एक दूसरे का बेहतर खयाल आ गया था ।।24।।


अब बिछड़ने पर रो तो नहीं सकते थे ।।

लेकिन रोने से कम भी नहीं लगते थे ।।25।।


वैसे तो कुछ भी बाकी नहीं रहा मुलाकात जो हुई थी ।।

फिर भी जाने क्यों दिल को ऐसा लग रहा है जैसे अधूरी मुलाकात ही हुई थी ।।26।।


एक मुलाकात ऐसी भी।


शायद इसी को अटूट अपनापन अगाढ प्रेम कहते हैं  ।।

सब कुछ पूरा होकर भी अधूरा लगे और अधूरा होकर भी पूरा कहते हैं ।।27।।


अब समय वह आ गया था जब एक दूसरे को चाहने से ज्यादा समझने लगे थे ।।

हां यह जरूर है इस मुलाकात के बाद दोनों अनजान शहर में थे तो बार-बार मिलने लगे थे ।।28।।


अब दोनों के ही मन में एक दूसरे को लेकर मानो कोई  शिकायत ही नहीं थी ।।

अब दोनों इतना करीब से समझ चुके थे कि अब शिकायत लाजमी भी नहीं थी ।।29।।


अब स्थिति ऐसी है ना ही कुछ अधूरा है ।

और ना ही दोनों के बीच कुछ पूरा है ।।30।।


अगली मुलाकात के इंतजार में.....

एक मुलाकात ऐसी भी।


✍️✍️ अमीर दिल सुभाष फौजी✍️✍️

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